प्रथम दुर्गा मां शैलपुत्री कौन थी, जानिए यहां…

प्रथम दुर्गा मां शैलपुत्री कौन थी, जानिए यहां…

आज नवरात्रि का पहला दिन है यानि कि मां शैलपुत्री का दिन । नव दुर्गाओं में पहला रूप शैल पुत्री को कहा जाता है। यह बात आमतौर पर सभी जानते है। लेकिन वास्

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आज नवरात्रि का पहला दिन है यानि कि मां शैलपुत्री का दिन । नव दुर्गाओं में पहला रूप शैल पुत्री को कहा जाता है। यह बात आमतौर पर सभी जानते है। लेकिन वास्तव में इनकी उत्पत्ति होने का कारण क्या रहा और नवरात्र के प्रथम दिन ही इनकी पूजा क्यों की जाती है। तो चलिए दोस्तों आज आपको हम बतायेंगे कि मां शैलपुत्री की उत्पत्ति होने का रहस्य क्या है।

वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्‌ ।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ॥

देवी दुर्गा के नौ रूप होते है। दुर्गाजी पहले स्वरूप में ‘शैलपुत्री’ के नाम से जानी जाती हैं। ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा। नवरात्र-पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है। इस प्रथम दिन की उपासना में योगी अपने मन को ‘मूलाधार’ चक्र में स्थित करते हैं। यहीं से इनकी योग साधना का प्रारंभ होता है। इनका वाहन वृषभ है, इसलिए यह देवी वृषारूढ़ा के नाम से भी जानी जाती हैं। इस देवी ने दाएं हाथ में त्रिशूल धारण कर रखा है और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है। ये ही सती के नाम से भी जानी जाती हैं।

इनका नाम शैल पुत्री क्यों पड़ा

इनका नाम शैल पुत्री क्यों पड़ा इसके पीछे एक अद्भभूत कहानी छिपी हुई है। एक बार जब राजा प्रजापति ने यज्ञ किया तो इसमें सारे देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया, लेकिन भगवान शंकर को नहीं। सती माता यज्ञ में जाने के लिए व्याकुल हो उठीं। शिवजी ने कहा कि सारे देवताओं को निमन्त्रण किया गया है, मगर उन्हें नहीं। ऐसे में वहां जाना उचित नहीं है। सती का प्रबल आग्रह देखकर शंकरजी ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी। सती जब अपने मायके पहुंचीं तो सिर्फ उनकी मां ने ही उन्हें स्नेह और सम्मान दिया। उनकी बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव थे, माता सती के पति परमेश्वर भगवान शंकर के प्रति भी तिरस्कार का भाव था ।

Shailputri Maa solmantra

दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक वचन कहे। इससे सती को क्लेश पहुंचा और वे दुखी हो गई। इस दौरान माता सती अपने पति का यह अपमान ना सह सकीं और योगाग्नि द्वारा अपने आप को जलाकर भस्म कर लिया। इस दारुण दुःख से व्यथित होकर शंकर भगवान ने उस यज्ञ का ही विध्वंस कर दिया। यही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं। पार्वती और हेमवती भी इसी देवी के अन्य नाम हैं। शैलपुत्री का विवाह भी भगवान शंकर से हुआ। शैलपुत्री शिवजी की अर्द्धांगिनी बनीं। इनका महत्व और शक्ति अनंत है।

 

 

तो इस प्रकार से ‘Sol Mantra’ नें आपको साधारण शब्दों से माता शैलपुत्री की उत्पत्ति का कारण बताया है। ‘Sol Mantra’ पर अगर आप नवरात्र की प्रथम दुर्गा ‘शैलपुत्री’ के बारे में विस्तार से जानना चहाते है या फिर मां शैलपुत्री की पूजा किस विधी से करनी चाहिए और इसकी पूजा करने से क्या फल मिलता है, तो आप Sol Mantra के ज्योतिषी से सम्पर्क कर सकते है। नीचे लिखे गये नम्बर पर सर्म्पक कीजिए।
फोन नम्बर- 8882-236-236

 

COMMENTS

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    Rahul 7 years

    Jai Mata di

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    falguni 7 years

    Jai mata di… have a blessed navratris 🙂

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    deepti ahluwalia 7 years

    Very informative about our goddesses. Thanks sol mantra.

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    ajay 7 years

    Well written and explained. Thanks for the information.

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    D V SHARMA 7 years

    our Peter must be honor thanks

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    KUSHAL KUMAR DWIVEDI 7 years

    जय माता दी

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