नवरात्र को दुर्गा पूजा में द्वितेया तिथी में ब्रह्मचारिणी स्वरुप की पूजा होती है। ब्रह्म का अर्थ तप का आचरण करने वाली ! ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरुप अत
नवरात्र को दुर्गा पूजा में द्वितेया तिथी में ब्रह्मचारिणी स्वरुप की पूजा होती है। ब्रह्म का अर्थ तप का आचरण करने वाली ! ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरुप अत्यंत भव्य है। इनके दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल रहता है। पूर्व जनम के राजा हिमालय की पुत्री के रूप में उत्पन हुई थी भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए इन्होंने घोर तपस्या की थी। बिना अन्न खाये कई वर्ष तक कठिन तपस्या क बाद भगवन शंकर को पति के रूप में प्राप्त किया माँ दुर्गा के स्वरुप की पूजा करने से अनंत फल प्राप्त होते है। ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से सर्वत्र सीधी और विजय की प्राप्ति होती है।
मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करने का मंत्र इस प्रकार है:
या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
‘Sol Mantra’नें आपको साधारण शब्दों से माता ब्रह्मचारिणी के बारे में बताया है। ‘Sol Mantra’ पर अगर माता “ब्रह्मचारिणी” के बारे में विस्तार से जानना चहाते है या फिर मां ब्रह्मचारिणी की पूजा किस विधी से करनी चाहिए और इसकी पूजा करने से क्या फल मिलता है, तो आप सोलमंत्रा के ज्योतिषी से सम्पर्क कर सकते है। नीचे लिखे गये नम्बर पर सर्म्पक कीजिए।
फोन नम्बर- 8882-236-236
Facebook
COMMENTS
All the best dear friend…👍👍