चन्द्रघंटा स्वरूप नवरात्र के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरुप की पूजा उपासना की जाती है। कौन है कूष्माण्डका माता, इनकी उत्पति कैसे हुई।आइए बतातें है
चन्द्रघंटा स्वरूप नवरात्र के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरुप की पूजा उपासना की जाती है। कौन है कूष्माण्डका माता, इनकी उत्पति कैसे हुई।आइए बतातें है आपको।
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे।
नवरात्र-पूजन के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरूप की उपासना की जाती है।इस दिन साधक का मन ‘अदाहत’ चक्र में अवस्थित होता है। त्रिविध तापयुत संसार में नकारात्मक ऊर्जा को हरने वाली देवी के उदर में पिंड और ब्रह्मांड के समस्त जठर और अग्नि का स्वरूप समाहित है। कूष्माण्डा देवी ही ब्रह्मांड से पिण्ड को उत्पन्न करने वाली दुर्गा कहलाती है।
लौकिक स्वरूप में यह बाघ की सवारी करती हुई अष्टभुजाधारी मस्तक पर रत्नजड़ित स्वर्ण मुकुट वाली एक हाथ में कमंडल और दूसरे हाथ में कलश लिए हुए उज्जवल स्वरूप की दुर्गा है। इसके अन्य हाथों में कमल, सुदर्शन, चक्र, गदा, धनुष-बाण और अक्षमाला विराजमान है। इन सब उपकरणों को धारण करने वाली कूष्मांडा अपने भक्तों को रोग-शोक और विनाश से मुक्त करके आयु यश बल और बुद्धि प्रदान करती है। अतः इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और अचंचल मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा उपासना के कार्य में लगना चाहिए। बताया जाता है जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। अतः ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है, वहाँ निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है। इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में अवस्थित तेज इन्हीं की छाया है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। इनका वाहन भी सिंह है। माँ कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है। माँ कूष्माण्डा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं। यदि मनुष्य सच्चे हृदय से इनका शरणागत बन जाए, तो फिर उसे अत्यन्त सुगमता से परम पद की प्राप्ति हो सकती है।
मांचन्द्रघंटा स्वरूप की पूजा किस विधी से करनी चाहिए और इसकी पूजा करने से क्या फल मिलता है, तो आप Sol Mantra के ज्योतिषी से सम्पर्क कर सकते है। नीचे लिखे गये नम्बर पर सर्म्पक कीजिए।
COMMENTS