‘पितृपक्ष’ का महत्व और सही नियम क्या है..जानिए यहां-

‘पितृपक्ष’ का महत्व और सही नियम क्या है..जानिए यहां-

श्राद्ध करने का महत्व और नियम सदियों से हम अपने घर परिवारों और समाज मे श्राद्ध करते हुए देखा है।यह पीढ़ी दर पीढ़ी एक रीति -रिवाज के तौर पर निभाते आ

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श्राद्ध करने का महत्व और नियम

सदियों से हम अपने घर परिवारों और समाज मे श्राद्ध करते हुए देखा है।यह पीढ़ी दर पीढ़ी एक रीति -रिवाज के तौर पर निभाते आ रहे है लेकिन वाकई में श्राद्ध का क्या महत्व है और श्राद्धकरने के सही प्रकार से नियम क्या है, यह शायद ही कम लोगों को पता हो। तो चलिए दोस्तों, आज आपको बतायेगा कि श्राद्ध का हमारे जीवन में क्या महत्व है और श्राद्ध करने के सही नियम क्या -क्या है।

श्राद्धपक्ष का महत्व

सबसे पहले हम समझेंगे कि श्राद्ध पक्ष क्या है- श्राद्ध का अर्थ है कि जो अपनी श्रद्धा से कुछ भी दिया जाए या दान किया जाए। धार्मिक ग्रन्थों और पोराणों के अनुसार श्राद्धपक्ष को महालया या पितृपक्ष भी कहा जाता है। भारत के कई हिस्सों में ज्यादातर पितृपक्ष के नाम से जाना जाता है। श्राद्धपक्ष की तिथि निश्चित होती है। यह अश्विन महीने के कृष्ण पक्ष में ही आती है। इन श्राद्ध के सोलह दिनों में लोग अपने पितरों को जल देते है, भोजन खिलाते है और उनकी मृत्यु तिथि के दिन श्राद्ध करते है।

  • हिन्दु मान्यताओं के अनुसार हमारे ऊपर पित्तरों का ऋण यानि कि कर्ज होता है, उसे श्राद्ध द्वारा चुकाया जाता है। श्राद्ध में पित्तरों का श्रादध करने से पितृपक्ष पूरे साल भर तक प्रसन्न रहते है।
  • श्राद्ध पक्ष का महत्व इसलिए भी होता है कि पोराणों के अनुसार पित्तरों को पिण्ड दान करने वाला गृहस्थ दीर्घायु, पुत्र-पोत्रादि, यश, स्वर्ग, लक्ष्मी , धन धान्य और समृद्धि आदि की प्राप्ति करता है। 
  • यह भी मान्यता है कि अगर हमारे पूर्वज जो कि पितृ के रूप में होते है अगर वे हमसे नाराज हो जाते है, तो व्यक्ति को अपने पूरे जीवन में कई सारी दिक्कतो का सामना करना पड़ सकता है। पित्तरों के रूठे होने के कारण घर मे धन हानि और संतान की ओर से परेशानी आ सकती है। इसलिए श्राद्ध के दिनों में पित्तरो को तृप्त और प्रसन्न करने के लिए उनका पिंड दान करना चाहिए।
  • कहते है कि यमराज हर साल श्राद्ध के दिनों में सभी जीवों को मुक्त कर देते हैं, जिससे वो अपने लोगों के पास जाकर जल,भोजन आदि ग्रहण कर सकें। शास्त्रों के अनुसार पित्तर अपने वंश या कुल की सैदव रक्षा करते है। इसलिए पितृपक्ष में अपने पूर्वजों का पिंड दान करना नही भूलना चाहिए।

श्राद्ध करने के नियम

श्राद्ध से जुड़ी हुई कुछ ऐसी चीजे होती है जो कम ही लोगों को पता होती है।अगर हम श्राद्ध को पूरी शुद्धता और विधिपूर्वक नही करते है तो हमारे पूर्वज श्राप दे देते है । है।आज हम बतायेंगे श्राद्ध से जुड़े कुछ विशेष नियम जिसके अपनाने से आपके जीवन की कई परेशानियां  अपने आप ही सुलझ जाएगी और आपके पित्तर भी खुश हो जाएगें।

  • श्राद्ध कर्म में विशेष कर साफ-सफाई और पवित्रता का ख़ास ध्यान रखना चाहिए।    
  • श्राद्ध कर्म में गाय का ही घी, दूध और दही काम में लेना चाहिए।
  • श्राद्ध के दिनों में अगर किसी महिला को माहवारी आती है तो उसे श्राद्ध का भोजन नहीं बनाना चाहिए अपितु श्राद्ध से जुड़े हर काम से दूर रहना चाहिए।
  • श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन अवश्य करवाना चाहिए, जो व्यक्ति बिना ब्राह्मण श्राद्ध कर्म करता है तो उसका श्राद्ध पूरा नही माना जाता है। इसलिए श्राद्ध वाले दिन कम से कम एक ब्राह्मण को तो भोजन जरूर करवाना चाहिए।
  • श्राद्ध के भोजन में खाना स्वादिष्ट होना चाहिए। और अगर आप अपने पित्तर की पसन्द का भोजन बनाते है तो काफी उत्तम होता है।
  • श्राद में पिंडदान हमेशा अपने ही घर में करना चाहिए, किसी और के घर में किया गया श्राद्ध पाप का भागीदार होता है। और किसी जरूरी काम के चलते आप घर से बाहर है तो इस परिस्थिति में किसी मंदिर या किसी भी तीर्थ स्थल पर श्राद्ध कर सकते है।
  • श्राद्ध करते समय अगर आपके घर पर कोई भिखारी आ जाए तो उसे आदर पूर्वक भोजन करवाना चाहिए। जो इंसान इस वक्त पर आए भिखारी को डांट-फटकार के भगाते है उसका श्राद्ध कर्म पूरा नही माना जाता है और पित्तर भी नाराज हो जाते है।
  • ब्राह्मणों को भोजन करने के बाद उनकों दान-दक्षिणा के साथ विदा करना चाहिए।
  • ब्राह्मणों को घर के द्वार तक पूरे आदर सम्मान के साथ विदा करके आना चाहिए, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि
  • ब्राह्मणों के साथ पित्तर भी साथ -साथ चलते हैं। ब्राह्मणों की विदाई के बाद अपने परिजनों, दोस्तों और रिश्तेदारों को भोजन कराना चाहिए।
  • श्राद्ध मे गुप्त रूप से दान करना चाहिए। पिंडदान पर साधारण या नीच मनुष्यों की नजर पड़ने से वह पित्तरों तक नही पहुंच पाता है।
  • श्राद्ध पक्ष की अमावस्या तिथि सबसे महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है क्योंकि जिन लोगों को अपने पूर्वजों की पूण्यतिथि का मालूम नही होता है, वो इस दिन पिंडदान करते है तो उनके लिए भी मान्य हो जाता है या फिर जिन लोगों को पता भी होता है उन्हें भी इस दिन बड़ा श्राद्ध करना चाहिए क्योंकि कहते है कि इस दिन सारे पित्तरों को एक साथ पिंडदान देकर विदा किया जाता है।

तो दोस्तों ‘Sol Mantra’ ने आपको श्राद्ध पक्ष का महत्व और श्राद्ध करते समय किन -किन बातो का ध्यान रखना चाहिए, के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी है। अगर आप Sol Mantra के ज्योतिषी से श्राद्ध कर्म के बारे पूरी और विस्तार से जानकारी लेना चाहते है तो नीचे लिखे गये नम्बर पर सर्म्पक कीजिए।

फोन नम्बर- 8882-236-236

 

COMMENTS

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    Raj 7 years

    NIce knowledge . Thanks you solmantra

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