नवरात्रि में कन्या पूजा का क्या महत्व है और नवरात्रि की पूजा किस दिन करनी चाहिए साथ ही कैसे कि जाती है कन्या पूजा इसकी विधी आज आपकों सोलमन्त्रा बतायेग
नवरात्रि में कन्या पूजा का क्या महत्व है और नवरात्रि की पूजा किस दिन करनी चाहिए साथ ही कैसे कि जाती है कन्या पूजा इसकी विधी आज आपकों सोलमन्त्रा बतायेगा।
नवरात्र पर्व के दौरान कन्या पूजन का बड़ा महत्व है। नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिबिंब के रूप में पूजने के बाद ही भक्त का नवरात्र व्रत पूरा होता है। अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें भोग लगाकर दक्षिणा देने मात्र से ही मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं।•
किस दिन करें कन्या पूजन
• वैसे तो कई लोग सप्तमी से कन्या पूजन शुरु कर देते हैं लेकिन जो लोग पूरे नौ दिन का व्रत करते हैं।वो तिथि के अनुसार नवमी और दशमी को कन्या पूजन करने के बाद ही प्रसाद ग्रहण करके व्रत खोलते हैं। शास्त्रों के अनुसार कन्या पूजन के लिए दुर्गाष्टमी के दिन को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और शुभ माना गया है।
• कैसे की जाती है कन्या पूजन
कन्या भोजन और पूजन के लिए कन्याओं को एक दिन पहले ही आमंत्रित कर दिया जाता है। मुख्य कन्या पूजन के दिन इधर- उधर से कन्या को पकड़ के लाना सही नही होता है। यानि कि कन्या पूजन के एक दिन पहले ही उनकों उनके घर जाकर पूरे आदर- सत्कार के साथ आमंत्रित करके आना चाहिए। उसके बाद कन्या पूजन के दिन गृह प्रवेश पर कन्याओं का फूलों से स्वागत करे। और नव दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाएं, अब इन कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह बिठाकर सभी के पैरों को दूध से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से उनके पैर धोने चाहिए और पैर छूकर आशीष लेना चाहिए। उसके बाद माथे पर अक्षत, फूल और कुंकुम लगाना चाहिए। फिर मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराए। भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा, उपहार दें और उनके दोबारा पैर छूकर आशीष लें
तो इस प्रकार से आप कन्या पूजन वाले दिन पूरे भक्ति भाव से कन्या पूजन कर उनकों जिमाएंगे तो सारी मनोकामना अपने आप पूरी हो जाएगी। यदि आप भी अपने नौ दिनों के व्रत का फल विधी पूर्वक कन्या पूजन कर दोगुना प्राप्त करना चाहते हो तो नीचे दिए गये नम्बर पर फोन करके सोलमन्त्रा के पंडित जी से जानकारी ले सकते हो।
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